इसाले सवाब के लिए कब्र पर जाने और दुआ के लिए हाथ उठाने का हुक्म




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इसाले सवाब के लिए कब्र पर जाने और दुआ के लिए हाथ उठाने का हुक्म

⭕आज का सवाल नंबर ३३७८⭕

कबर पर जाकर फातिहा खवानी करनी चाहिए?
इसाले सवाब के लिए क्या पढना चाहिए और दुआ किस तरह करें?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

इसाले सवाब के लिए क़बर के पास जाना ज़रूरी ही नहीं है, क़ब्रों पर जाने का मक़सद आख़िरत की याद दहानी है, लिहाज़ा कोई क़बर की ज़ियारत के लिए जाए और क़बर पर ईसाले सवाब लाज़िम समझे बगैर क़बर के पास कुछ पढना चाहे तो जिस जानिब भी इसे सहूलत हो इस जानिब खड़े होकर इसाले सवाब के लिए सुरह फातिहा और सुरह इखलास (قل هو الله احد) सुरह तकासुर सुरह ज़िलजाल वग़ैरा पढ़ सकता है,

अल्बत्ता अगर मैय्यत के लिए हाथ उठा कर दुआ करना चाहे तो क़िब्ला रुख होकर दुआ करनी चाहिए!

क़ब्र की तरफ होकर दुआ मांगने में उन से दुआ मांगने का शुबा -गलत फ़हमी हो सकती है।

📑 दारुल इफ्ता जमीयतुल उलूम इस्लामिया बिनोरिआटाउन फ़तवा नो १४४१०५२०००६५

و الله اعلم بالصواب

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.