Language
Click below for languages:
बारात की हकीकत व खराबियां
⭕आज का सवाल नंबर ३४११⭕
दुलहन को लेने लोग बारात क्यूँ ले जाते है ?
इस में बहुत परेशानी होती है और खर्च ज़यादा होता है,
उम्मत के सामने इस के नुक़सानात को वाज़िह फरमाइये ताके इसका रिवाज ख़त्म हो।
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
पहले ज़माने में आमतौर पर एक दो सवार होते थे तो डाकू लूट लेते थे, इसलिए दुल्हन, उस के ज़ेवर और सामान की हिफाज़त के लिए कई आदमी उसे लेने के लीये जाते थे, इस तरह बरात का रिवाज पड़ा होगा ।
अब अक्सर रस्ते मॉमून हो गए है, लूटफाट आम तौर पर नहीं होती, इसलिए अब इस की ज़रूरत नहीं रही।
इस में चंद खराबियां है।
१। बहुत सी जगह कुछ रिश्तेदार नाराज़ होते है के हमें बारात की दावत क्यूँ नहीं दी, दूल्हे के घरवालों को एक कशमकश रेहती है के किसे ले जाये और किसे छोडे, बाज़ मर्तबा नाराज़गी में रिश्ते भी तूट जाते है।
२। नमाज़े क़ज़ा होती है।
३। आमतौर पर बारात रवाना होने में सब के इन्तिज़ार में ताख़ीर और परेशानी होती है, निकाह के लिए वक़्त पर पहोंचने की जल्दी में बेधडक तेज़ रफ़्तार गाड़ी चलाई जाती है के जिस में कभी ऐक्सिडन्ट भी होते है।
४। अक्सर बारातों में जित्ने को दावत दी गई हो उस से ज़यादा जाते है, बगैर दावत के जाने वाले को हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया है के चोर बनकर दाखील हुवा और लुटेरा बनकर निकला या उसे चोरी और लूट जैसा गुनाह होता है।
५। ज़्यादा आदमी के पहोंच जाने की सुरत में मेज़बान की बड़ी बेइज़्ज़ती होती है,और इन्तिज़ाम में बड़ी तकलीफ पहुंचती है, ऐसा करना हराम है।
६। दुल्हेवाले बेहया बनकर सामने से लड़की वाले को कहते है हम १०० या २०० आदमी लाएंगे और लड़कीवाले शर्मा शर्मी में हाँ केह देते है, लेकिन ऐसा करने में उन को उनके इस्तिक़बाल और क़ियामो तआम के इंतिज़ाम में बड़ी परेशानी होती है, बाज़ों को सूदी क़र्ज़ा लेने तक की नौबत आ जाती है।
७। बारात ले जाने में खर्च बहुत ज़यादा होता है इसलिए लड़के दूर जगहों में अच्छी लड़कियां मव्जूद होने के बावजूद निकाह के वास्ते क़रीब की लड़की ढूँढ़ने में निकाह में ताख़ीर होती है, बाज़ मर्तबा निकाह की ताख़ीर की वजह से लड़का ज़िना में मुब्तला हो जाता है,
८। दुल्हन वालों का बारातियों के लिए ठहरने और खाना खिलाने का अलग से इन्तेज़ाम करना पड़ता है, जिसमे कमी कोताही रह जाये तो रिश्ते में दरार पड़ती है या फिर निकाह के बाद लड़के के रिश्तेदार लड़की और उसके घर वालों को बुरा भला सुनाते है, ये भी खराबी बहोत जगह पाई जाती है।
और भी बहुत सी खराबी है जो गौर करने से मालूम होती है, एक गुनाह का भी इर्तिक़ाब होता हो तो उस के नाजाइज़ होने के लिए काफी है।
📚इस्लाहुर रसूम और इस्लामी शादी से माखूज़
و الله اعلم بالصواب
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन.
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.