मीलाद और जुलूस के तमाम दलाइल का जवाबात
⭕आज का सवाल नो।३३५७⭕
बरेलवी हज़रात मीलाद पर क़ुरान व हदीस की दलीलों के अलावाह, हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विलादत पर बाज़ लोगों के खुश होने के वाक़िआत, हिजरत करने पर इस्तिक़बाल के वाक़िआत वगैरा दलाईल का क्या जवाब दिया जाये?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا مسلما
💎 ज़िक्रे मिलाद मवलूद इस का मतलब होता है विलादत शरीफ पैदाइश का बयान,तज़किराह इस से कौन मना करता है? यही तो हमारे बाज़ बुजुर्गों ने किया है वहां न हद से ज़यादा लाइटिंग थी न उसे दीन मानने को ज़रूरी समझते थे,ना क़याम की खास पाबंदि,ना मावज़ूअ रिवायात का बयान,ना शीरनी का इल्तिज़ाम न मर्द औरत का इख़्तिलात ऐसी मीलाद मना नहि।
👉 ये बा-इसे खैर व अज्र है।
👉 हम भी पुरे साल सिरत किताब पढने पढ़ाने में, तब्लीग वाले पेहली सिफत इमान जिस का दूसरा हिस्सा मुहम्मदुर रसूलुल्लाह है हुज़ूर صل اللہ علیہ وسلم की मुहब्बत और इत्तिबा है उस में भी करते है।
🚫 इन तमाम दलीलों में ये बात कहाँ के,
👉 हर साल दिन की तईं के साथ करते थे?
👉 या खड़े होकर ही मीलाद पढ़ते थे?
👉 या दिवाली की तरह लाइटिंग करते थे?
👉 जुलूस निकालते थे?
👉🏻मीलाद की शुरूआत ६ सदी बाद बादशाह इरबल ने की(तारीख़े इब्ने खलकां) सहाबा, ताबिइन,ओर तबे ताबीइन की ३ खैर के ज़माने और सदी बाद का कोई भी काम मक्का मदीना भी हुज्जत और दलील नहीं दलील सिर्फ ४ है कुर्आन,हदीस,इजमा,क़यासे शर’ई।
👉 उस दिन को ईद की तरह मानते थे या उस दिन रोज़ा रखा करते थे।
👉 ईद को तो रोज़ा रखना हराम है।
💎 हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम खुद मदीना या कूफ़ा में पेहली बार तशरीफ़ लाये थे उस वक़्त ख़ुशी मनाई थी इस्तिक़बाल के लिए मजमा निकला था ।
🚫 लेकिन उस वक़्त रबीउल अव्वल का महीना नहीं था ।
🚫 और फिर हर साल इसी तरह उस दिन ख़ुशी मनाते थे ये साबित करो।
🤔 हमें भी बताओ कोन से शहर में? कोन से वक़्त?
कोनसी जगह सरकार صل اللہ علیہ وسلم की आमद है?
💐 हम फ़ूलों को बिछा देंगे पूरी दुन्या के लोग उस शहर में जमा हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
🎉 जनम दिन (बर्थ डे) मनाना ग़ैरों का तरीका है ।
👉 उस दिन केक काटना, मोमबत्ती बुझाना साबित करो?
👉 ये सब काम सवाब और दीन समझ कर किये जाते है इसलिए बिदअत है और बीद’अत को बिदअती गुनाह नहीं समझते इसलिए तौबा की तौफ़ीक़ नहीं होगी ।
🚫 इस दिन ईद नहीं मनाई तो ये सवाल हरगिज़ नहीं होगा के तुम ने इस तरह खुशियां क्यों नहीं मनाई लेकिन अगर ये बिदअत निकली तो ज़रूर सवाल होगा ये बिदअत क्यों की ?
👉 वफ़ात का दिन १२ रबी-उल-अव्वल बिलकुल तय था?
👉 विलादत का दिन मौलाना अहमद रजा के फ़तवा रज़विय्यह की तकविमि तहक़ीक़ के मुताबिक़ ९ रबीउल अव्वल था।
👺 तो इब्लीस की तरह वफ़ात के दिन खुशियां क्यों मनाई?
و الله اعلم بالصواب
✍🏻 मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफि
🕌 उस्ताज़े दारुल उलूम,
रामपुर सुरत, गुजरात, इन्डिया।